हिंदू धर्म में नवरात्र का समय खास महत्व रखता है, और इसे मानविक भाषा में समझाने का प्रयास करें। नवरात्र के प्रति वर्ष आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होता है, और इस साल 15 अक्टूबर को शारदीय नवरात्र का आरंभ हुआ था। इस बार, महाष्टमी व्रत 22 अक्टूबर को रविवार को किया जाएगा।
नवरात्र के नौ दिनों में, हम मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा करते हैं। आठवें दिन को हम मां महागौरी के रूप की पूजा करते हैं, जिसे महाष्टमी या दुर्गा अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। आइए जानते हैं देवी महागौरी की व्रत कथा|
पौराणिक कथा के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए हजारों वर्षों तक तपस्या की थी। उन्होंने इस अवधि में अन्न और जल का त्याग किया, जिससे उनका शरीर काला हो गया।
देवी पार्वती की इस तपस्या को देखकर भगवान शिव खुश हुए और उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। उनके काले हुए शरीर को गंगा जल से पवित्र किया गया, जिससे उनका शरीर फिर से कांत हो गया।
माता पार्वती के तप के द्वारा हमें एक महत्वपूर्ण संदेश मिलता है - साधना और पूजा की शक्ति। वे अन्न और जल का त्याग करके भगवान को प्राप्त करने के लिए दिन-रात कठिनाइयों का सामना करती रहीं। यह हमें याद दिलाता है कि संगीता में पारंपरिक तरीके से अपनी मांग करने का अधिकार है, और हमें संगीता का मूल्य महसूस करना चाहिए।
मां महागौरी की पूजा और मंत्रजाप का महत्व भी अत्यधिक है। इसे आपके जीवन में सुख, समृद्धि और पुण्य की प्राप्ति में मदद कर सकता है। इस दिन का विशेष महत्व है, और यह साधकों को विवाह संबंधित समस्याओं से भी मुक्ति प्रदान कर सकता है।
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